एक हाथ और एक पैर नहीं, फिर भी देश को पैडल से जोड़ रहा है यह साहसी युवा!
मुर्गेश कुमार शेट्टी बीजापुर 5 अगस्त 2025 | “साहस के आगे सब कुछ छोटा है” — इस बात को सच कर दिखाया है झारखंड के हजारीबाग जिले के ग्राम टाटीझरिया निवासी सजूल टुडु ने। दिव्यांग होने के बावजूद सजूल देशभर में भ्रमण पर निकले हैं और अब तक 7000 किलोमीटर से अधिक की साइकिल यात्रा पूरी कर चुके हैं। अपने मिशन के दौरान वे आज दिनांक 5 अगस्त को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भोपालपटनम पहुंचे।
बायां हाथ और एक पैर न होने के बावजूद, सजूल टुडु ने कभी हिम्मत नहीं हारी। उनकी यह यात्रा न केवल भौगोलिक सीमाओं को पार कर रही है, बल्कि वह लाखों लोगों के दिलों को भी छू रही है। भारत के 11 राज्यों की यात्रा कर चुके सजूल अब वापस झारखंड लौटने की योजना में हैं।
भोपालपटनम में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा,
“मेरा उद्देश्य है कि जो लोग पूर्णतः सक्षम हैं लेकिन जीवन में कुछ करने से डरते हैं, उन्हें जगाना। मैं चाहता हूं कि मेरे जैसे दिव्यांग भाई-बहनों को यह संदेश मिले कि हौसला हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।”
सजूल का यह अभियान पूरे देश में एक प्रेरणा बन चुका है। उनका मानना है कि दिव्यांगता शरीर में होती है, सोच में नहीं। उन्होंने कई राज्यों में यात्राएं करते हुए लोगों को सामाजिक सेवा, आत्मबल और सकारात्मक सोच का संदेश दिया है।
आगे की योजना:
भोपालपटनम से निकलने के बाद सजूल टुडु छत्तीसगढ़ के अन्य हिस्सों की यात्रा कर झारखंड लौटेंगे, जहां वे अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा का समापन करेंगे।
मीडिया की ओर से इस अद्वितीय साहस और जज़्बे को सलाम।
सजूल टुडु जैसे लोग न केवल हमारे समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं, बल्कि यह भी सिद्ध करते हैं कि असली दिव्यांगता शरीर में नहीं, सोच और हौसले की कमी में होती है।
“एक पैर, एक हाथ नहीं… फिर भी चला भारत भ्रमण पर!”
“दिव्यांग नहीं, प्रेरणादायक योद्धा है सजूल टुडु”
“7000 किमी की साइकिल यात्रा कर दिखाई असली शक्ति!”
“हौसले को सलाम: सजूल टुडु की प्रेरणादायक यात्रा



