मद्देड़ पंचायत में लाखों की हेराफेरी, पूर्व सरपंच-सचिव की मिलीभगत – जांच अधिकारीयों पर लीपापोती के आरोप?

कलेक्टर को शिकायत के बावजूद पारदर्शी जांच नहीं, ग्रामीण फिर देंगे आवेदन

मुर्गेश शेट्टी,बीजापुर जिले की ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक अनियमितताओं और सरकारी फंड के दुरुपयोग की शिकायतें आए दिन सामने आ रही हैं। अब ग्राम पंचायत मद्देड़ का मामला सुर्खियों में है, जहां ग्रामीणों ने पंचायत के पूर्व सरपंच सम्मैया सण्ड्रा और सचिव कोड़े सुधाकर पर 15वें वित्त की राशि का गबन और फर्जी भुगतान की जांच प्रक्रिया को लेकर ग्रामीणों ने जांच अधिकारियों पर अनियमितता के आरोप लगाए हैं और पुनः जांच की मांग के लिए कलेक्टर महोदय को आवेदन देने की तैयारी कर रहे हैं।

पांच वर्षों से चल रहा था फंड का गबन?

17 दिसंबर 2024 को ग्रामीणों ने कलेक्टर को लिखित शिकायत दी, जिसमें सरपंच और सचिव पर पांच वर्षों में पंचायत के फंड को कई खातों में एफटीओ के माध्यम से ट्रांसफर कर लाखों रुपये का गबन करने, एक ही नाली निर्माण के नाम पर तीन बार राशि आहरित करने, जबकि कार्य पूरी तरह से अधूरा होना, सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग, रिश्वत लेकर शासकीय भूमि पर निर्माण की अनुमति देने के आरोप लगाए गए थे।

पंचायत भवन बैठक में सचिव से जवाब तलब

19 जुलाई को मद्देड़ ग्राम पंचायत भवन में पंचायत प्रतिनिधियों और बड़ी संख्या में ग्रामीणों की बैठक हुई। कथित वित्तीय अनियमितताओं के मुद्दे पर तत्कालीन पंचायत सचिव कोड़े सुधाकर को बुलाकर पूछा गया। सुधाकर ने बताया कि जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसी आधार पर उन्हें जनपद पंचायत भोपालपटनम में अटैच कर दिया गया है।

कार्रवाई केवल सचिव तक सीमित? रिकवरी और सरपंच की जवाबदेही पर प्रश्न

ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी राशि का आहरण पूर्व सरपंच सम्मैया सण्ड्रा और सचिव कोड़े सुधाकर दोनों के हस्ताक्षर से किया गया था। इसके बावजूद विभागीय कार्रवाई फिलहाल केवल सचिव को जनपद पंचायत भोपालपटनम में अटैच करने तक सीमित दिखाई देती है। न तो कथित अनियमित भुगतान की रिकवरी हुई, न ही पूर्व सरपंच के विरुद्ध किसी स्पष्ट विभागीय कार्रवाई का खुलासा हुआ है।

जांच अधिकारियों पर भी सवाल

ग्रामीणों ने जांच अधिकारियों पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जांच कब, कहाँ और किन बिंदुओं पर हुई? यदि जांच वाकई हुई थी तो ग्रामीणों को सूचना क्यों नहीं दी गई। अब तक न वार्ड पंचों को, न ही जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हुई।

सरपंच और सचिव ने मिलकर पंचायत की राशि का दुरुपयोग किया, लेकिन कार्रवाई केवल सचिव पर की जा रही है। सरपंच पर न तो किसी तरह की कानूनी कार्रवाई हुई और न ही उनकी भूमिका की खुलकर जांच की गई। ग्रामीणों ने पुनः मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बीजापुर को आवेदन देकर पूरी जांच की मांग की तैयारी है।

क्या प्रशासन इन गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच करेगा और दोषियों को सजा दिलवाएगा? सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पंचायत के फंड की रिकवरी की जायेगी अब देखने वाली बात होगी।

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