सण्ड्रापल्ली में 4.52 लाख के रनिंग वाटर का कार्य कागजों में पूर्ण, ग्रामीणों ने की जांच की मांग

पूर्व सरपंच और सचिव पर गंभीर आरोप

मुर्गेश शेट्टी,बीजापुर – स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक पंचायत को 15वें वित्त आयोग की पेयजल एवं स्वच्छता मद से राशि दी जाती है। इस राशि का उद्देश्य बोर खनन, पाइपलाइन बिछाने और जल आपूर्ति व्यवस्था जैसी सुविधाएं विकसित करना है। लेकिन ग्राम पंचायत सण्ड्रापल्ली में इस राशि के उपयोग को लेकर अब गंभीर गड़बड़ी के आरोप सामने आए हैं।

गांव में आयोजित बैठक में ग्रामीणों ने खुलासा किया कि जुलाई से अक्टूबर 2024 के बीच पंचायत ने रनिंग वाटर कार्य के नाम पर 4,52,000 निकाला गया। सरकारी रिकॉर्ड में यह राशि बालक आश्रम में बोर खनन, रनिंग वाटर बालक आश्रम, रनिंग वाटर प्रथम किस्त, रनिंग वाटर द्वितीय किस्त और रनिंग वाटर सण्ड्रापल्ली के नाम पर खर्च दिखाया गया है।

 

लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिलकुल अलग है। गांव में न तो बोर खनन हुआ और न ही शासकीय भवनों में रनिंग वाटर का कार्य हुआ है। यहां तक कि जिन स्थानों पर काम होना था, वहां आज तक कोई कार्य शुरू ही नहीं हुआ। बालक आश्रम के अधीक्षक ने भी साफ कहा कि पंचायत की ओर से आश्रम में रनिंग वाटर का कोई कार्य नहीं कराया गया है। यह बयान ग्रामीणों के आरोपों को और मजबूत करता है।

बैठक में उपस्थित बुजुर्गों और युवाओं ने पंचायत के पूर्व सरपंच वासम मीना और वर्तमान सचिव सत्यावती मोरला पर लाखों रुपये गबन का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने बताया की वे जल्द ही सामूहिक रूप से जिला प्रशासन को जांच के लिए आवेदन सौंपेंगे और इस मुद्दे को मीडिया के माध्यम से भी उठाएंगे। जब भ्रष्टाचार के संबंध में जनपद के सीईओ सुरेश देवांगन से पूछा गया तो उन्होंने बताया की जांच टीम गठित कर जांच करवाया जाएगा। जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

गांव के लोगों का कहना है कि यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वे इस भ्रष्टाचार के लिए अंत तक लड़ेंगे ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में किसी अन्य पंचायत में जनता के पैसे की इस तरह बर्बादी न हो।

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